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नहीं रहेगा सिंगरौली जिले का यह शहर मोरवा आखिर क्यों हटाया जाएगा मोरवा शहर?

द चाणक्य टाइम सिंगरौलीब्लैक डायमंड के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश का सिंगरौली जिले का यह शहर कोयला खनन के लिए पूरे भारत में मशहूर है

आपको बता दें कि सिंगरौली का मोरवा शहर कोयला खनन के लिए हटाने की तैयारी चल रही है जिसको लेकर सरकार ने राजपत्र भी जारी कर दिया है. सिंगरौली जिला बनने से पहले मोरवा को ही मुख्य शहर माना जाता रहा है जहां पर जिले की आधी आबादी निवास करती है पर कोयला खनन के लिए सरकार इसे जल्द ही खाली करवाने की तैयारी में जुट गई है.
सिंगरौली जिला बनने के बाद बैढ़न को जिला मुख्यालय बनाया गया है जहां कलेक्टर एसपी सहित जिले के सभी प्रमुख कार्यालय संचालित हो रहे हैं. इसके अतिरिक्त सिंगरौली के मोरवा शहर के आसपास कोलमाइंस के कर्मचारियों की कई कालोनियां बनाई गई है.

भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा जारी किये गए राज्य पत्र अधिसूचना में उल्लेख किया गया है कि अब केंद्रीय सरकार अर्जन और विकास अधिनियम की धारा 1957 की धारा 7 की उप धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह घोषणा करती है की अनुसूची में वर्णित 273.91 हेक्टेयर लगभग या 676.83 एकड माप वाली भूमि और ऐसी भूमि या उस पर के सभी अधिकार अर्जित किए जाते हैं.कोयला खनन के लिए हटाए जाएंगे यह शहर

सरकार द्वारा जारी किए गए राजपत्र में सिंगरौली जिले के चार शहरों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जिनमें सिंगरौली जिले का मेढौली 5.68 हेक्टर, पंजरेह 296.05 हेक्टर, चटका 113.36 हेक्टर, झिंगुरदहा 4.00 हेक्टर कुल 419.09 हेक्टर या 1035 एकड़ भूमि को अधिग्रहण करने की तैयारी शुरू हो गई है. अब सिंगरौली जिले के यह कस्बे कोयला खदानों में तब्दील हो जाएंगे.

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