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कछुए की चाल चल रहा नकझर से सिहावल पुल का निर्माण कार्य/आजादी के 75 साल बाद विकसित भारत में भी लोग ब्लॉक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेने को मजबूर।

कछुए की चाल चल रहा नकझर से सिहावल पुल का निर्माण कार्य/आजादी के 75 साल बाद विकसित भारत में भी लोग ब्लॉक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेने को मजबूर।

द चाणक्य टाइम्स सीधी। जिले के सिहावल विधानसभा क्षेत्र में लगभग विगत 8 वर्ष पूर्व नगझर से रामपुर सिहावल ब्लॉक की कनेक्टिविटी को मजबूत करने एवं आम जनमानस की आवा गमन को और सुलभ करने को लेकर सोन नदी में पुल बनने को लेकर आधारशिला रखी गई थी तब के बाद से ही लगातार पुल निर्माण को लेकर निर्माण कार्य पुल का चल रहा है लेकिन कछुए की चाल चल रहे कार्य के चलते 21वीं सदी में भी आम जन मानस नाव का सहारा लेने को मजबूर है

पुल बना नेताओं के वोट मांगने का जरिया
चुनावी जनसभाओं में सत्ता के नेता एवं विपक्ष के नेता जनसभाओं में पुल को लेकर खूब वोट बैंक की सेंध लगाए लेकिन चुनाव बीतते ही गायब हुए जन प्रतिनिधि भीषण गर्मी में जनता बेहाल पुल के निर्माण के लिए बनाई गई सर्विस पुल बंद भी कर दिया गया जिससे लोगों को नदी पार करने के लिए नाव का लेना पड़ रहा है सहारा
बता दें कि जब हमारी टीम ने नाव के नाविक से बात करी तो नाविक ने भगवान राम से जुड़ा बड़ा ही दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए कहा कि जब से हमारे पूर्वजों ने भगवान राम को नांव से गंगा पार कराया तभी से हम लोगों ने नदी पार कराना अपना कर्म समझ कर अपनी आजीविका चला रहे हैं
आपको बता दें कि नकझर सिहावल पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है क्योंकि जिस पुल को दो से ढाई वर्ष में बनकर तैयार होना था न जाने किस वजह से पुल के काम में 15 से 20 लोग ही कार्यरत है इतनी लंबी पुल इतना बड़ा प्रोजेक्ट मात्र 10-20 लोगों में कैसे होगा पूरा।
कोई देखने वाला नहीं है जबकि बहरी हनुमान पुल क्षतिग्रस्त हो चुकी है इस वजह से तो शासन प्रशासन को और भी युद्ध स्तर पर कार्य कर इस पुल को चालू हो होना चाहिए था लेकिन धन्य हैं इस क्षेत्र के प्रतिनिधि जो कि चुनाव बीतते ही गायब हो जाते हैं और चुनाव आते ही फिर से पुल का मुद्दा ले कर जनता के सामने वोट मांगने आते हैं।
पुल निर्माण एजेंसी का भी भ्रष्टाचार चरम पर
वही पुल निर्माण एजेंसी भी भ्रष्टाचार करने में कतई पीछे नहीं है आपको बता दें कि सोन घड़ियाल अभ्यारण से रेत की निकासी व उत्खनन पूर्णतः प्रतिबंधित है बावजूद इसके निर्माण एजेंसी इस नदी का बालू निकाल कर नदी का सीन छलनी करने में पीछे नहीं है और शासन के नियमों की सरे आम धज्जियां उड़ा रहे है जो बात अब तक किसी से छिपी नहीं है और कई बार न्यूज़ चैनलों और समाचार पत्रों में इस बात को लेकर खबरों का प्रकाशन भी हो चुका है लेकिन जिले में बैठे प्रशासनिक अधिकारी एवं निर्माण एजेंसी के कानों में जो तक जू तक नहीं रेंग रही है ।

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