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जूनियर डॉक्टर को मिला सीएस का प्रभार, सीनियर डॉक्टर के साथ अनदेखी

जूनियर डॉक्टर को मिला सीएस का प्रभार, सीनियर डॉक्टर के साथ अनदेखी

द चाणक्य टाइम्स सीधी।
सिविल सर्जन के पद को लेकर फिर राजनीति गरमा गई है। कारण यह कि यहां जूनियर डॉक्टर को सिविल सर्जन का प्रभार मिला गया जबकि सीनियर डॉक्टर को नजर अंदाज किया गया है। जिस बात को लेकर डॉक्टरों में विरोध कम नहीं देखी जा रही है।
पहले सिविल सर्जन रहे नंदिनी पाठक की सेवा निवृत्ति होने के बाद आज उन्ही के द्वारा खुद सिविल सर्जन के रूप में डॉ. दीपारानी इसरानी को सिविल सर्जन का प्रभार दिया गया। जबकि वे सीनियर डॉक्टर नहीं हैं। कही न कहीं विभाग की लापरवाही मानी जा सकती है क्योंकि नियम भी कहता है कि सीनियर डॉक्टर को ही सिविल सर्जन का प्रभार मिलना चाहिए लेकिन फिर एक मामला सामने आ गया है कि जूनियर को सिविल सर्जन का प्रभार मिला अब यह मामला तूल पकड़ेगा।
ज्ञात हो कि 30 सितम्बर को सिविल सर्जन नंदिनी पाठक रिटायरमेंट हुए लेकिन आनन-फानन में सीनियर डॉक्टर को नजर अंदाज करते हुए जूनियर डॉक्टर को सिविल सर्जन का प्रभार देकर चलते बने जबकि है नियम विरोध प्रभार है।
शासन की वरिष्ठता सूची के आधार पर डॉ. एसबी खरे का वरिष्ठता सूची के आधार पर नंबर 318 है जबकि जिन्हें प्रभार दिया गया। डॉ. दीपा रानी की वरिष्ठता सूची मैं 463 नंबर है जो की डॉ. खरे से लगभग 125 नंबर पीछे हैं साथ ही शासकीय सेवा में डॉ. खरे की उपस्थिति सन 1990 में हुई थी जबकि डॉ. दीपारानी की उपस्थिति 2001 में है तो किस आधार पर इन्हें सिविल सर्जन का प्रभार दिया गया है यह समझ से परे है।

कर्मचारियों में आक्रोश भी है, शासन एवं न्यायालय का निर्देश है कि वरिष्ठ वरीयता के आधार पर प्रभार दिया जाना चाहिए।
डॉ. पाठक द्वारा सभी निर्देशों को नजर अंदाज कर दिया गया है जबकि प्रमोशन दिनांक को सीनियर मानकर प्रभार देकर डॉ. पाठक चलते बने एवं शासन के निर्देश के विरुद्ध है। तत्कालिक के सिविल सर्जन द्वारा ऐसा निर्देश किया गया था जिसे कलेक्टर साकेत मालवीय द्वारा संज्ञान में लेते हुए डॉ. दीपा रानी को हटाकर डॉ. खरे को सिविल सर्जन का प्रभार दिए थे।
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मुझे इस तरह का कोई आदेश की नहीं थी उम्मीद : डॉ. खरे
डॉ. एसबी खरे द्वारा कहा गया कि मुझे इस तरह के आदेश की उम्मीद कतई नहीं थी क्योंकि उन्होंने गस्टेड शाखा में उपलब्ध शासकीय आदेश एवं निर्देशों का तथा न्यायालय के निर्देशों का अवलोकन नहीं किया गया। उनके द्वारा जानबूझकर ऐसा आदेश किया गया है जबकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने उन्हें शासन के दिशा निर्देशों पर ही आदेश करने हेतु निर्देशित किया गया था। साथ ही यह भी कहूंगा कि संबंधित प्रभारी लिपिक से इस तरह का आदेश बनवाया गया होगा यह आदेश न्यायोचित नही है इस आदेश को कलेक्टर को संज्ञान में लेना चाहिए।

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