गौ वंश की निरंतर घटती संख्या चिंतनीय।
संविधान में भी गौ संरक्षण पर बल दिया गया है।
महाराजा रणजीत सिंह ने गौ हत्या पर मृत्यु दण्ड देने का आदेश दिया था।
गौ माता का दूध अमृत एवं मल मूत्र असाध्य रोगों के लिए लाभकारी है।
भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए गौ पालन आवश्यक।
सनातन संस्कृति में गौ वंश की बहुत महत्ता है लेकिन सनातन संस्कृति के अनुयायी भी गौ वंश की घोर उपेक्षा कर रहे हैं।इसी तरह गौ वंश की उपेक्षा एवं क्रूरता होती रही तों गौ वंश विलुप्त की कगार पर आ जाएगा।
गौ वंश सनातन संस्कृति के अनुयायियों
के द्वार की शोभा हुआ करतें थे लेकिन पूर्ववती सरकार की अदूरदर्शी नीतियों, वर्तमान सरकार की गौ वंश के प्रति उपेक्षा पूर्ण नीति एवं समाज के बदले दृष्टि कोण के कारण गौ वंश विलुप्त की ओर अग्रसर हो रहा हैं।गौ वंश की घटती संख्या पर दृष्टि डाली जाय तो पूर्व में गौ वंश, गौ धन होने के कारण एक व्यक्ति के पीछे 10 गौ वंश हुआ करतें थे लेकिन आज गौ वंश की संख्या घटकर 20 गौ वंश के पीछे एक व्यक्ति हो गई हैं जो चिंतनीय है।यह आंकड़ा काल्पनिक हो सकता है लेकिन 30 वर्ष पूर्व एक गांव में कम से कम 2000 गौ वंश की संख्या थी आज उसी गांव में गौ वंश की संख्या घटकर 200 हो गई है जबकि आबादी चार गुना बढ़ गई है।
गौ पालकों ने गौ वंश को गौ शालाओं से बाहर भूख प्यास एवं दुर्घटनाओं से मरने के लिए बेसहारा छोड़ दिया है सबसे विभत्स स्थिति तब निर्मित होती है जब नवजात गौ वंश जन्म के समय कुत्तों का शिकार हो जाता है। किसान अपने फसल की सुरक्षा के लिए गौ वंश के मुख एवं पैर को जीआई तार से बांधकर भूख प्यास से मरने के लिए मजबूर कर देता है इतना ही नहीं दूध व्यवसाय के लिए गौ पालन कर रहे निर्दयी गौ पालक नवजात गौ वंश को उसकी मां से दस पन्द्रह दिन के अंदर ही दूर ले जाकर छोड़ देते हैं जिसके कारण नवजात गौ वंश भूख प्यास या कुत्तों का शिकार होने के कारण दम तोड़ देता है। जिले के दक्षिणी एवं उत्तरी क्षेत्रों में गौ तस्कर गौ वंश को कत्लखाने में बेधड़क पहुंचा रहे हैं, किसानों के द्वारा गौ तस्करों का विरोध करने के बजाय प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सरकार द्वारा संचालित गौ शालाओं की स्थिति बहुत दयनीय है गौ वंश के भरण-पोषण के लिए आई राशि को गौ शालाओं के प्रबंधक डकार जाते हैं जिसके कारण गौ शालाओं के गौ वंश भूख प्यास से चारदीवारी के अंदर दम तोड़ देते हैं।घायल एवं बीमार बेसहारा गौ वंश की स्थिति और दयनीय है पशु चिकित्सालय में भर्ती की व्यवस्था न होने से बीमार एवं घायल गौ वंश भूख प्यास, आश्रय एवं गुणवत्तापूर्ण दवाईयों के अभाव में तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे हैं।
सीधी जिले के गौ वंश प्रेमियों श्री जियंद राम जी, डॉ डी के द्विवेदी, श्री मती पूनम तिवारी, श्री सीताशरण शर्मा,श्री धर्मोंत्तम पांडे, श्री सरोज शर्मा, श्री युनूस सिद्दीकी,श्री कमल कामदार, श्री सुनील नामदेव, श्री विनोद मिश्र, श्री राजेश सावधानी, श्री विश्वनाथ गुप्ता, डॉ अंबिका मिश्र,श्री बाबू जेठानी, श्री गौरव मिश्र, श्री सुनील कामदार, श्रीमती मीनाक्षी द्विवेदी, श्री पियूष खरें , श्री मनीष मिश्रा, श्री भक्तराम नामदेव, श्री एल बी मिश्र, श्री शिवानन्द शुक्ल, डॉ रंजना मिश्रा, श्रीमती आशा मिश्रा, श्री जवाहर लाल गुप्त अलबेली, श्री मनोज तिवारी, श्री अनशारूल हक ,श्री आशीष केशरी, श्री विनय गुप्ता व अन्य गौ वंश प्रेमियों के द्वारा घायल गौ वंश एवं नवजात गौ वंश के भरण-पोषण, उपचार एवं आश्रय के लिए तात्कालिक कलेक्टर श्री मुजीबुर्रहमान खांन की मंशा से जिला पशु चिकित्सालय सीधी में कार्य किया जा रहा था लेकिन 2 अक्टूबर को चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की उपेक्षा एवं असहयोग के कारण जिला पशु चिकित्सालय सीधी में संचालित व्यवस्था को बंद कर देना पड़ा।
सीधी जिले में वर्तमान में हजारों गौ वंश लंपी वायरस नामक संक्रमित बीमारी से पीड़ित हैं लेकिन आग्रह करने के बाद भी लंपी बीमारी से पीड़ित गौ वंश को अलग रखने, भरण-पोषण एवं उपचार की कोई व्यवस्था नहीं की गई है इतना अवश्य हो जाता है कि उप संचालक पशु चिकित्सालय सीधी से आग्रह करने पर तात्कालिक रूप से कुछ उपचार हो जाता है लेकिन लंबी बीमारी से गौ वंश तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे हैं।
जिले के वरिष्ठ अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा गौ वंश के साथ हो रही उपेक्षा एवं क्रूरता के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, समाज भी निष्ठुर हो गया है ,सब की नजर में बेसहारा गौ वंश एक समस्या बन गया है लेकिन इस समस्या को पैदा करने वाला समाज ही है जब गौ वंश,गौ धन के रुप में था तो बड़े सम्मान से गौ वंश का पालन पोषण किया जाता था लेकिन उपयोगिता समाप्त होने के कारण गौ वंश को बेसहारा कर दिया गया। सीधी जिले में गौ वंश की उपेक्षा एवं क्रूरता से निजात पाने के लिए जिले के तात्कालिक कलेक्टर श्री मुजीबुर्रहमान खांन से आग्रह करने पर उन्होंने आदेश क्रमांक 1851/ प क्रू/2022-23/सीधी, दिनांक 17/09/22 को एक प्रभावी आदेश अवश्य जारी किया लेकिन उस आदेश का क्रियान्वयन आज तक नहीं हुआ।
जहां तक गौ वंश की महत्ता एवं उसकी उपयोगिता के संदर्भ में बात करें तो संविधान में भी गौ वंश के संरक्षण पर बल दिया गया है, संविधान में गौ मांस को खाना मौलिक अधिकार नहीं माना गया है, मानवता के तहत जीभ के स्वाद के लिए किसी के जीवन के अधिकार नहीं छीना जा सकता है, भारत में सनातन धर्मी, गाय को माता मानते हैं यह आस्था का विषय है आस्था पर चोट करने से देश कमजोर हो जाता है, महाराजा रणजीत सिंह ने गौ हत्या पर मृत्यु दण्ड देने का आदेश दिया था,गौ माता की चर्बी को लेकर महान क्रांतिकारी मंगल पांडे ने क्रांति की थी,गौ माता की महिमा का वर्णन वेद पुराण उपनिषद में है, रसखान ने कहा था कि उन्हें जन्म मिलें तो नंद की गायों के बीच,गौ माता का दूध अमृत है एवं मल मूत्र असाध्य रोगों के लिए लाभकारी है,गौ माता को भोजन कराने से 33 कोटि देवताओं का भोग लग जाता है,गौ माता की सेवा परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है एवं सभी तीर्थों का फल प्राप्त करता है,गौ माता हम सभी के द्वारा पर भीक्षा मांगने नहीं आती वरन दर्शन देने आती है।इन सब के बाद भी गौ वंश दर दर की ठोकरें खां रहें है और भूमि की उर्वरा शक्ति समाप्त हो रही है।
उदय कमल मिश्र एडवोकेट सीधी के द्वारा जानकारी प्राप्त।
रिपोर्ट- के.के. विश्वकर्मा