अविश्वास प्रस्ताव से ही सही मणिपुर हिंसा पर बहस का रास्ता खुला।
बीते दिन बुधवार को विपक्ष की तरफ से संसद में अविश्वास प्रस्ताव रखा गया जिसे स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया इस बिल की नोटिस कांग्रेश सांसद गौरव गोगोई द्वारा प्रस्तुत किया गया संभवतः इसकी चर्चा अगले हफ्ते होगी।
अविश्वास प्रस्ताव का नाम सुनते ही सरकार गिरने का डर सताने लगता है लेकिन इस बार ऐसा कुछ होने वाला नहीं है क्योंकि सरकार के पास पूर्ण बहुमत है और इस पर सरकार की सेहत को कोई भी फर्क पड़ने वाला नहीं है।
हां इस प्रस्ताव से इतना जरूर होने वाला है कि पक्ष और विपक्ष दोनों अपनी बातें शांति के साथ रख सकेंगे।
अभी तक मानसून सत्र चालू होते ही संसद में हंगामा शुरू हो जाता था जिससे ना ही कोई कुछ बोल पाता था और ना ही कोई कुछ सुनने को तैयार था अब अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सब अपनी अपनी बातें रख सकेंगे।
मानसून सत्र शुरू होते ही विपक्ष हंगामा कर रहा था कि प्रधानमंत्री संसद में आकर मणिपुर पर बयान दें लेकिन उन्होंने नहीं दिया। अब इस प्रस्ताव के बहाने ज्यादातर सांसद जवाब दे पाएंगे एवं इस बहस में प्रधानमंत्री भी जवाब देंगे।
हालांकि मणिपुर में बीजेपी की सरकार है और बीजेपी मुख्यमंत्री को हटाना नहीं चाहती जिसका मुख्य कारण साफ है कि वहां मैंतेई एवं कुकी आदिवासियों का झगड़ा है और बीजेपी या नहीं चाहती कि फिर से कोई नया झगड़ा शुरू हो जाए।
रिपोर्ट- के.के. विश्वकर्मा